Monday 10 October 2016


भ्रमण काल :- 
 
सूर्य, शुक्र, बुध का भ्रमण काल 1 माह होता है।
 
चंद्र का भ्रमण काल सवा दो दिन होता है। 
 
मंगल का भ्रमण काल 57 दिन होता है। 
 
गुरु का भ्रमण काल 1 वर्ष होता है। 
 
राहु-केतु का भ्रमण काल डेढ़ वर्ष होता है। 
 
शनि का भ्रमण काल ढाई वर्ष होता है। 
 
ये ग्रह इतने समय में एक राशि में रहते हैं। बाद में अपनी राशि-परिवर्तन करते हैं।
1. सूर्य-सूर्य जन्मकालीन राशि से 3, 6, 10 और 11वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
2. चंद्र-
 
चंद्र जन्मकालीन राशि से 1, 3, 6, 7, 10 व 11 भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
3. मंगल-
 
मंगल जन्मकालीन राशि से 3,  6, 11 भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
4. बुध- 
 
बुध जन्मकालीन राशि से 2, 4, 6, 8, 10 और 11वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
5. गुरु-
 
गुरु जन्मकालीन राशि से 2, 5, 7, 9 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।

6. शुक्र-
 
शुक्र जन्मकालीन राशि से 1, 2, 3, 4, 5, 8, 9, 11 और 12वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
7. शनि-
 
शनि जन्मकालीन राशि से 3, 6, 11 भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।

8. राहु-
 
राहु जन्मकालीन राशि से 3, 6, 11 भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।
9. केतु-
 
केतु जन्मकालीन राशि से 1, 2, 3, 4, 5, 7, 9, और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। बाकी भावों में अशुभ फल देता है।




No comments:

Post a Comment